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दो से चार -05-Jan-2022

भाग 6 



लव कुमार रोज़ाना विषय से संबंधित अपनी रचना पोस्ट किया करते थे । उसके अतिरिक्त भी और विषयों पर अपनी रचनाएं लिखते रहते थे । आशा उनकी रचनाएं नियमित पढ़ती थी और उन पर समीक्षा भी किया करती थी । जिस तरह एक पुजारी की ड्यूटी है भगवान की पूजा करना उन्हें भोग लगाना । उसी तरह आशा की ड्यूटी बन गई लव कुमार की रचनाएं पढ़ना और उन पर टिप्पणी करना ।  एक दिन लव कुमार की रचनाएं खुली ही नहीं । आशा बहुत अधीर हो गई थी । लव कुमार की रचनाएं पढ़े बिना उसे चैन नहीं आता था । मगर आज तो उनका बॉक्स खुल ही नहीं रहा था रचनाओं का । रचना ने एक मैसेज डाला "सर, आपकी आज की रचना खुल नहीं रही है " । 


उधर से

लव कुमार ने लिखा " मैंने तो रोज की तरह ही आज की रचना पोस्ट की है । ऐसा करता हूँ कि आज की रचना दुबारा पोस्ट कर देता हूं " । और उन्होंने अपनी रचना दुबारा पोस्ट कर दी । 


थोड़ी देर बाद आशा जो कि दिव्या के नाम से प्रतिलिपि पर थीं ने लिखा "सर ये भी नहीं खुल रही है" 


"पर और लोगों ने तो इसे पढ़कर इस पर टिप्पणियां भी अंकित की हैं, मैम। लगता है आपके नेटवर्क में ही कोई समस्या है" ? 


"हो सकता है सर ऐसा कुछ हो  मगर आपकी रचना को कैसे पढ़ें सर , समझ में नहीं आ रहा है" 


थोड़ी देर बाद लव कुमार का मैसेज था "आप अगर पढ़ना चाहें तो एक तरीका है । आप अपना व्हाट्स ऐप नंबर शेयर कीजिए ताकि मैं उस रचना को व्हाट्स ऐप पर भेज सकूं" 


आशा को लगा कि यह पहला मामला है जब एक पुरुष अपना मोबाइल नंबर नहीं देकर एक महिला से कह रहा है कि अगर आप चाहो तो नंबर दे दो , मैं तो नहीं दूंगा । वह मन ही मन मुस्कुराई। वाह , क्या कहने हैं जनाब के ! गजब के इंसान हैं ये लव कुमार भी । नाम भी क्या रखा है लव कुमार ? नाम से तो मजनूं छाप लगते हैं लेकिन रचनाएं तो बहुत संजीदा होती हैं इनकी । लोग तो सोशल मीडिया पर अपना मोबाइल नंबर हर किसी को देते रहते हैं और लड़कियों को तो खासकर । उनके बिना मांगे भी । मगर एक ये बंदा है जो मुझसे नंबर मांग रहा है । क्या कहने है महाराज के ?  चलो , देखते हैं । गरज अपनी है तो देना ही पड़ेगा मोबाइल नंबर। और उसने अपना मोबाइल नंबर शेयर कर दिया। 


थोड़ी देर में उसने देखा कि  व्हाट्स ऐप पर एक नंबर से मैसेज आया है " हैलो , लव कुमार इज हियर । गुड मॉर्निंग" । 


आशा ने वह नंबर सेव कर लिया। लव कुमार ने वह रचना भी भेज दी थी । एक कहानी थी वह हास्य कहानी "मैं तो तुप्प ही रही" थी । वह पढ़ने बैठ गई। कहानी इस प्रकार थी । 


एक गांव में हरिया किसान रहता था । उसकी बीवी का नाम धनिया था । उनके घर में जब पहले बच्चे की आहट हुई तो दोनों बड़े खुश हुए कि घर में कोई मेहमान आने वाला है । जब पता चला कि लड़की हुई है तो दोनों थोड़े निराश हुए । बात पुराने जमाने की है जब गांव में लड़कियों का  कोई नामकरण तो होता नहीं था । बस, "छोरी" कहकर बुलाते हैं सभी । जब दूसरी भी "छोरी" हो गई तो अब दोनों में विभेद करने के लिए बड़ी वाली छोरी का नाम "पहली" रख दिया । जब तीसरी भी हो गई तो दूसरी छोरी जो कि बीच वाली थी, का नाम "बीचली" और सबसे छोटी का नाम "छोटली" रख दिया । इस प्रकार तीनों बहन पहली , बीचली और छोटली बड़े प्रेम से पलने लगीं । 


वे तीनों ही बहन तोतली थीं । "च" को "त" बोलतीं थीं । पर यह बात हरिया और धनिया ने गुप्त रखी ।  धीरे धीरे वे तीनों लड़कियां सयानी हो गई। गांवों में शादी का खर्च बचाने के लिए दो तीन बच्चों की शादी एक साथ कर देते हैं । इसलिए हरिया और धनिया ने भी पहली, बीचली और छोटली की शादी एक साथ करने का फैसला कर लिया । 


उस जमाने में

लड़कियों को जब किसी को  "दिखाया"  जाता था तो उनसे नाम वगैरह पूछा जाता था । लड़कियां जब बतातीं थीं तो पता चल जाता था कि वे तोतली तो नहीं हैं कहीं । अगर ऐसा हो तो फिर कोई भी हां नहीं करता था । इसलिए लड़की दिखाना भी एक मुश्किल काम था ।  बड़ी भयंकर समस्या पैदा हो गई थी हरिया और धनिया के साथ । 


हरिया ने धनिया से कहा "ये सारी जड़ इनके बोलने की वजह से है । ये तीनों ही तोतली हैं अगर बोल पड़ी तो ? तू इनको चुप रखना बाकी मैं संभाल लूंगा" । धनिया ने कहा "ठीक है" । 


हरिया ने फिर तीन लड़के देखे । बात बन गई तो लड़कियां दिखाने के लिए उन्हें अपने घर बुलवाया । 


घर में तीनों बहनों को धनिया ने अच्छी तरह समझा दिया था कि उन्हें बिल्कुल भी नहीं बोलना है। बाकी सब कुछ तुम्हारे बापू संभाल लेंगे । इस पर तीनों बहनों ने हामी भर दी थी कि वे चुप रहेंगी । 


उन दिनों टेबल कुर्सी तो होते नहीं थे, नीचे दरी और चद्दर बिछाकर बैठा करते थे । लड़के वाले जब उन्हें देखने आये तो उनको नीचे दरी और चद्दर पर बैठा दिया गया । फिर उन तीनों बहनों को बुलवाया गया । पहली पानी, बीचली चाय और छोटली नाश्ता लेकर आई । वे तीनों भी उसी फर्श पर बैठ गई। 


लड़के वाले चाय नाश्ता करते जा रहे थे और कुछ प्रश्न पूछते भी जा रहे थे मगर तीनों में से कोई भी लड़की  नहीं बोली । तो लड़के वालों ने कहा "ये तीनों बोल क्यों नहीं रही हैं" ? 


हरिया ने बात संभालते हुए कहा "अजी , बहुत शर्माती हैं ये लड़कियां । ये तो घर में ही नहीं बोलती हैं तो आप लोगों के सामने कैसे बोल पायेंगी " ? 


लड़के वाले इससे बड़े प्रभावित हुए और कहा "वाह, कितने बढ़िया संस्कार हैं इनके । भगवान करे सब लड़कियां ऐसी ही संस्कारी हो जाएं" । 


इतने में नाश्ते में रखी मिठाई की खुशबू से कीड़े मकौड़े आने लगे । एक मकौड़ा "छोटली" के नजदीक आया । वह डर गई । थोड़ा सा पीछे सरकी लेकिन मकौड़ा और नजदीक आ गया। तो वह जोर से  चिल्लाई "मतौरो , मतौरो" मतलब मकौड़ा मकौड़ा । 


यह बात सुन कर बीचली उसे डांटते हुए बोली " माई ने मना तिया था न बोलने तो । फिल त्यों बोली" ? ( मां ने मना किया था न बोलने को । फिर क्यों बोली )


अब बड़ी बहन जो इस वाकिये को चुपचाप देख रही थी एकदम से बोल पड़ी " मैं तो बोली न ताली , तुप्प ही रही" । ( मैं तो बोली न चाली , चुप्प ही रही) । 


अब सारा भेद खुल गया था । लड़के वाले बैरंग लौट गए। ढाक के वही तीन पात । और इस तरह बेचारी तीनों लड़कियां कुंवारी ही रह गई ।


इस कहानी को पढ़कर आशा जो कि दिव्या नाम से प्रतिलिपि पर थीं , बहुत हंसी । बार बार पढ़ा उस कहानी को और हंस हंस कर उसका पेट दुखने लगा था । 


उसने समीक्षा में लिखा "वाह सर , क्या कहानी लिखी है , आनंद आ गया । जबसे पढ़ी है तबसे ही हंस रहे हैं । इस कोरोना संकट में जब लोगों के माथे पर शिकन , होंठों पर खामोशी, दिमाग में चिंता और हृदय में आशंका हो तो मुस्कुराहट देकर कितना बड़ा काम किया है आपने । जबरदस्त। अगर मेरे बस में होता तो मैं पांच सितारों के बजाय दस सितारे दे  देती । मगर ऐसा कोई ऑप्शन नहीं है इस एप में  इसलिए पांच ही देने पड़ रहे हैं । गज़ब लिखते हैं सर आप " 


लव कुमार पहले दिव्या को मैम कहकर संबोधित करता था तो एक दिन दिव्या यानी आशा ने रिक्वेस्ट की "सर , आप मुझे मैम कहकर मत बुलाया कीजिए न । आप इतने बड़े लेखक हैं , आपके मुंह से मैम सुनना अच्छा नहीं लगता है। आप दिव्या जी कहकर संबोधित किया करिए , मुझे अच्छा लगेगा" । तब से लव कुमार उसे दिव्या जी ही कहने लगा था । 




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3 Comments

Barsha🖤👑

01-Feb-2022 09:05 PM

Very nice

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Shalu

07-Jan-2022 02:05 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Jan-2022 02:52 PM

Thanks

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